A Rookie Journalist’s Ram Mandir Tale (Photo Coutesy : Jagran Josh) The Grand inauguration of Ram Mandir happened yesterday and my memo ries clouded with some of my encounters 35 years ago. The year was 1989. I was studying for graduation and journalistic bug bit me and I joined a local newspaper. It was BJP the rule in MP and very strict and disciplinarian Sundarlal Patwa was the Chief Minister. The newspapers had right wing leanings and used to sympathize with their issues. I used to work for Sports page and also support regional coverage of the newspaper. One day a young activist correspondent mentioned me about the Ram Janmabhoomi Babri Masjid issue and quizzed me whether I’m aware about it? It was a ‘PSPO’ moment for me. I was not much aware about it. He explained me the issue and also how the BJP is now trying to build a campaign for it. It was news for me. Later, Shri L. K. Advani, then the president of the BJP, announced the Rath yatra (from Somnath) on 12 September 1990. T
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The Unsung Gas Heros
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Photo Courtesy : Outlook India. The recently released Mini TV Series “Railway Men” ( https://www.imdb.com/title/tt16296870/ ) on Netflix directed by Shiv Rawail with star cast of Babil Khan, Kay Kay Menon, R Madhavan, Divendu, Mandira Bedi and Juhi Chawala is getting rave reviews. The series has shown the Gas leak on the night of 2 nd December 1984 and havoc it caused for the Passengers passing through the Trains at that moment. The Union Carbide factory having very close to Bhopal Station posed a great hazard to incoming trains. The Deputy Station Superintendent of Bhopal Station Ghulam Dastgir, who was on duty on that fateful night showed exemplary presence of mind. He let go the Gorakhpur Express standing on the platform 20 minutes earlier which was against the rules. He also didn’t allow other trains to reach the Station saving Thousands of lives. He also helped the passengers and Staff present on the station to combat this deadly menace. Post Gas disaster, it was ti
Dr Vartika Nanda, Media Personality and Social worker gets first Rajkumar Keswani Memorial Award
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The first Rajkumar Keswani Memorial award for exceptional work in the field of Journalism and Social work is bestowed upon Dr Vartika Nada, a well known Social worker and former TV anchor of NDTV. Dr Nanda has done remarkable work in Jail Reforms through her initiative "Tinka Tinka". Late Rajkumar Keswani was a multifaceted person and has written Books, Newspaper Columns and also edited magazines. He was the first person who reported dangers of Union Carbide. Unfortunately, nobody took him seriously at that time. He died during second wave of Corona in 2021. His family has instituted an award in his memory which contains a grant of Rs. 1 lac. A large number of admirers of Late Keswani attended the event. Film Actor Rajiv Verma, Film Writer Rumi Jafri, Lyricist Irshad Kamil and well known Journalist Rajesh Badal graced the event. #Rajkumar Keswani #Vartika Nanda #Tinka Tinka
आस्था
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आस्था जब से पत्नी ने उस अतिथि को घर पर लाया था वह मेरी नाराज़गी का कारण बन गया था । मेरा मानना है कि प्रकृति स्वयं की देखभाल करना जानती है उसमे हमें दखलंदाज़ी नहीं करना चाहिए । घर के सभी लोग उसे वी. आई. पी. मानकर उसकी खिदमत में जुट गए थे । हकीकत तो यह थी कि मुझे भी उसकी सेवा में जुट जाना चाहिए था। शाम को घर लौटा तो देखा कि उसका एक कार्डबोर्ड का घर बन गया था । उसके अंदर नर्म मुलायम रुमाल की गद्दी बिछा दी गयी थी । छोटे बेटे ने अपना ठिया वहीं आस पास बना लिया था । उसकी कौतुहल भरी नज़र उस नन्हे प्राणी पर टिकी रहने लगी थी । वैसे भी उसका जीव प्रेम जग जाहिर था और कई बार उफन कर बाहर आ जाता था। मैं नज़र चुराकर देखता था कि किस तरह पत्नी और बेटा मिलकर ड्रॉपर के माध्यम से उस जीव को पानी और दूध पिलाने का उपक्रम करते रहे थे। एक दो बार मैं अपनी ' दुष्टता ' पर उतर ही आया था और गुस्से में कह डाला था "छोड़ आओ इसे जहाँ पर मिला था , वह अपनी जिंदगी खुद जी लेगा !" लेकिन मेरी इस फटकार का किसी पर कोई परिणाम नहीं हुआ। माँ बेटे ने मेरी बात को हमेशा की तर
बेजुबान
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बेजुबान सुबह की कुनकुनी धूप खिल गई थी । मैं भी 19 वें माले पर चाय की प्याली लेकर अपने नियत स्थान पर गैलरी के किनारे अखबार पढ़ते हुए बैठा था । अख़बार कोरोना वायरस और उससे जुड़ी खबरों से पटा पड़ा था । कभी-कभी ये अख़बार भी नीरस और डरावने लगते हैं । शब्दों और आंकड़ों के मायाजाल से दिल बैठने लगता है । ख़ैर मेरी नजर तो गैलरी पर टिकी हुई थी । एक कबूतर का जोड़ा रेलिंग पर बैठा वार्तालाप कर रहा था । पिछले कुछ दिनों से मैं उनकी आवाज समझने लगा था । एक दोस्त ने बताया था कि जिस कबूतर की गर्दन मोटी होती है वह नर कबूतर होता है । उसकी चोंच भी छोटी होती है । पतली गर्दन मादा कबूतर की होती है । तो ठीक है , आगे की कहानी में नर कबूतर को मैं कबूतर और मादा को कबूरतरनी ही कहूंगा। आज कबूतर बड़े ही सीरियस मूड में था । कबूतरनी ने अपनी आंखें गोल-गोल घुमाते हुए पूछा : "नाराज लग रहे हो ?" कबूतर : "नाराज न हूँ तो क्या ? कल उस बी ब्लॉक की छठी मंजिल पर रहने वाली डॉक्टर से पड़ोसियों ने क्या बदतमीजी की और कैसी - कैसी भद्दी गालियां दी थी ।" कबूतरनी : "उसने ऐसा क्य
वे दो भाई
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वे दो भाई वे दो भाई अजीब ही थे । अभी पिछले दिनों से कॉलेज में दिखने लगे थे । उनकी एक कान की बाली , उनके कपड़े और बातचीत से वे ठेठ देहाती लगते थे । उनका अचानक आना और दोस्तों से पहचान बढ़ाना मेरे लिए थोड़ा जलन का विषय हो रहा था । मेरी शहरी मानसिकता ऐसे किसी भी शख्स को को कैसे स्वीकारती जो हमारे स्टैंडर्ड का नहीं हो ? अंग्रेजी माध्यम का होने के कारण थोड़ी बहुत हेठी तो आ ही गई थी । ऐसे में गाँव के यह दोनों भाई मुझे अप्रिय लगने लगे थे । बाद में पता चला कि वे हाल ही में उत्तर प्रदेश से आए हैं और देर से प्रवेश मिलने के कारण अब बचे खुचे सिलेबस को पूरा करने में लगे हैं। वैसे भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पढ़ाई में काफी अंतर है। उत्तर प्रदेश की पढ़ाई का स्तर बेहतर ही है और वहां स्थापित उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय है जो मध्यप्रदेश के पास कभी नहीं रहे । दोनों भाई शहर के दूसरे कोने से कॉलेज में आते थे और समय से बहुत पहले पहुंच जाते थे । कॉलेज न खुलने की स्थिति में वे समीप के पार्क में ही अपनी कॉपी किताब लेकर बैठ जाते और पढ़ाई करने लगते । ठंड के दिनों में पार्क की प